शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति, विकलांग प्रमाण पत्र बनावा कर सरकारी नौकरी एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण, एवं आर्थिक सहायता, अनुदान, पेंशन जैसी कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ ले सकते है।
हालांकि इसके लिए आपको विकलांग प्रमाण पत्र से सम्बंधित सभी नियमों का पता होना जरुरी है, जिससे कि आपको प्रमाण पत्र बनवाने में दिक्कतों का सामना ना करना पड़ें।
इस आर्टिकल में आज हम विकलांग प्रमाण पत्र से जुड़ें सभी नियमों को जानेंगे। विकलांग प्रमाण पत्र के लिए किन शारीरिक कमियों को विकलांगता माना जाता है, कितने प्राकार की विकलांगता को इस श्रेणी में रखा गया है, प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार और इसकी वैधता, चलिए इन सभी नियमों को विस्तार से समझते है।
शारीरिक विकलांगता
हाथ, पैर की क्षति, देखने, सुनने या बोलने में कमी और मानसिक अक्षमता को शारीरिक विकलांगता माना जाता है, जिसके लिए आप विकलांग प्रमाण पत्र बनवा सकते है।
- हाथ या पैर की क्षति
- आँख, कान की कार्यक्षमता में कमी या बोलने में असमर्थता
- मानसिक अक्षमता
इसके साथ, हाल ही में आये नए अधिनियम के अंतर्गत 21 अलग अलग श्रेणियों को विकलांगता में सम्मिलित किया गया है, जिसके लिए आप विकलांग प्रमाण पत्र बनवा कर विभिन्न सोशल सिक्योरिटी योजना का लाभ ले सकते है।
हालांकि ध्यान रहे सरकारी नौकरी के मामले में इनमे से कुछ विकलांग श्रेणी के व्यक्ति पात्र नहीं होते है।
विकलांगता के प्रकार
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 21 प्रकार की विकलांगता मानी गयी है। ये विकलांगता है –
विकलांगता | विवरण |
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1. दृष्टिहीनता | जब व्यक्ति अपनी आँखों से कुछ भी नहीं देख सकता |
2. निम्न-दृष्टि / अल्प दृष्टि (लो विज़न) | जब उनकी दृष्टि 6 / 18 या 20 / 60 तक हो और अधिकतम संभव सुधार के बाद भी बेहतर आँख से देख पाने की क्षमता न हो या दृष्टि क्षेत्र की सीमा 10 डिग्री से 40 डिग्री के बीच हो। |
3. कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति | कुष्ठ रोग, या हैनसेन रोग, एक संक्रामक बीमारी है जिससे व्यक्ति की त्वचा, परिधीय तंत्रिका, ऊपरी श्वसन पथ, और आँखों प्रभावित होती है। |
4. श्रवणबाधित (बहरापन) | जो सुनने में अक्षम हों या ऊँचा सुनते हों। इसे बहरापन और ऊँचा सुनना दो भागों में बाँटा जाता है, जिनमें बहरापन में सुनने की क्षमता दोनों कानों में 70 डेसिबल या उससे अधिक तक कम होती है, और ऊँचा सुनने में दोनों कानों में 60 से 70 डेसिबल तक कमी होती है। |
5. चलन-सम्बन्धी विकलांगता (लोकोमोटर विकलांगता) | चलन-सम्बन्धी विकलांगता मुख्यतः पैरों की विकलांगता को कहते हैं, लेकिन इसमें हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी विकलांगताएँ भी आती हैं। |
6. बौनापन | बौनापन विकास सम्बन्धी विकार है जिसमें व्यक्ति की शरीर की लम्बाई सामान्य से कम होती है। |
7. बौद्धिक विकलांगता | मानसिक क्षमता में कमी, जिससे व्यक्ति में चिंता, याददाश्त, बुद्धिमत्ता और सीखने की क्षमता में दिक्कतें होती हैं।मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं, मानसिक बुढ़ापे की बीमारियाँ और दिमागी रूप से विकलांगता आदि। |
8. मानसिक रोग | मानसिक रोग व्यक्ति की सोच, मनोदशा, धारणा, अभिविन्यास या स्मृति का एक बड़ा विकार है जो निर्णय, व्यवहार, वास्तविकता को पहचानने की क्षमता या जीवन की सामान्य मांगों को पूरा करने की क्षमता को पूरी तरह से बाधित करता है। |
9. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर | यह एक तंत्रिका-सम्बन्धी विकासात्मक विकार है जिसमें व्यक्ति की बोलचाल और व्यवहार प्रभावित होता है। ऑटिज्म व्यक्ति के संज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। |
10. सेरिब्रल पाल्सी | सेरिब्रल पाल्सी (सी.पी.) एक ऐसी शारीरिक स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की क्षति के कारण मांसपेशियों का समन्वय बिगड़ जाता है। |
11. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी | माँसपेशियों से जुड़े अनुवांशिक विकारों का एक समूह, जिसके कारण माँसपेशियों में कमज़ोरी और माँसपेशियों का क्षय होता है। |
12. पुरानी तंत्रिका सम्बन्धी स्थितियाँ | अल्जाइमर रोग और डीमेनशिया, पार्किन्संस डिज़ीज़, डिसटोनिया, ए.एल.एस. (लू गेह्रिग रोग), हंटिंग्टन डिज़ीज़, तंत्रिकपेशीय बीमारी, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, मिर्गी, स्ट्रोक। |
13. स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी | किसी व्यक्ति की सुनने, सोचने, बोलने, लिखने या गणितीय गणना करने की क्षमता को बाधित करती है। |
14. मल्टीपल स्क्लेरोसिस | मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, जिसमें मस्तिष्क और मेरुदंड शामिल हैं, को क्षति पहुँचाने लगती है। |
15. वाणी और भाषा-सम्बन्धी विकलांगता | यह लेरिंजेक्टॉमी या वाचाघात जैसी स्थितियों से उत्पन्न एक स्थाई विकलांगता है जिसमें बोलने की क्षमता और भाषा के महत्त्वपूर्ण घटकों को नुक्सान पहुँचता है। |
16. थैलेसीमिया | यह एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन का उत्पादन कम हो जाता है या फिर असामान्य हीमोग्लोबिन का उत्पादन होने लगता है। |
17. हीमोफ़ीलिया | हीमोफ़ीलिया एक रक्त विकार है जिसके कारण रक्त में थक्के बनाने वाले प्रोटीन की कमी हो जाती है। इस प्रोटीन की कमी के कारण खून का बहाव जल्दी रुकता नहीं है। |
18. सिकल सेल रोग | रक्त कोशिकाएँ सिकल (हंसिया या दरांती) जैसे असामान्य आकार की हो जाती हैं और नष्ट होने लगती हैं। |
19. बहु-विकलांगता (बहरेपन-दृष्टिहीनता सहित) | बहु-विकलांगता का अर्थ एक से अधिक विकलांगता का एक साथ होना। इस प्रकार की विकलांगताएँ मोटर और संवेदी दोनों तरह की हो सकती हैं। |
20. तेज़ाब हमले से प्रभावित व्यक्ति | तेज़ाब हमले के प्रभावित वे लोग होते हैं जो तेज़ाब या ऐसे ही किसी पदार्थ के हमले के कारण विकृत हो जाते हैं। |
21. पार्किन्संस रोग | यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार है जो व्यक्ति की चाल / गति को प्रभावित करता है। |
प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार
विकलांग प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार चिकित्सा प्राधिकारी के पास होता है। जो कि Form II, Form III या Form IV जो भी उस मामले लागू हो, उस आधार पर आवेदनकर्ता के पक्ष में विकलांग प्रमाण पत्र जारी करता है।
आवेदन करते समय आपको निम्न में से एक जगह आवेदन जमा करना होता है –
- निवास प्रमाण में लिखित जिले में प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम चिकित्सा प्राधिकारी के पास
- यदि सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है, तो वहाँ के सम्बंधित चिकित्सा प्राधिकारी
आवेदन के समय प्रस्तुत किये जाने वाले दस्तावेज़
विकलांग प्रामं पत्र के लिए आवेदन करते हुए आपको निम्न दस्तावेज़ आवेदन के साथ प्रस्तुत करने होते है –
- निवास का प्रमाण
- हाल ही के 2 पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ
उन मामलों में जहां विकलांग व्यक्ति नाबालिग हो, या फिर मानसिक या अन्य विकलांगता की वजह से स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हो, तो उसकी ओर से उसका कानूनी अभिभावक आवेदन कर सकता है।
प्रमाण पत्र जारी करने की समय सीमा
विकलांग व्यक्ति द्वारा आवेदन करने से 7 दिनों के अन्दर चिकित्सा प्राधिकारी विकलांग प्रमाण पत्र जारी करता है। यह समय किसी भी परिस्थिति में 30 दिनों से अधिक नहीं हो सकता।
यदि किसी मामले में विकलांग व्यक्ति जांच के बाद प्रमाण पत्र के लिए अयोग्य पाया जाता है, तो उसके आवेदन को अस्वीकार करते हुए, चिकित्सा प्राधिकारी को उसकी वजह बताना भी आवश्यक है। और आवेदनकर्ता को लिखित में सूचित करना होता है।
वैधता
स्थाई विकलांग प्रमाण पत्र की वैधता जीवनभर के लिए होती है। साथ ही –
- ऐसे मामले जहां विकलांगता में सुधार की कोई संभावना नही है, वहाँ स्थाई प्रमाण पत्र दिया जाता है, जो जीवन भर के लिए वैध होता है।
- वहीँ ऐसी विकलांगता जहां इलांज के साथ भविष्य में सुधार की गुंजाइश है, वहाँ प्रमाण पत्र में वैधता की अवधि भी लिखी होती है। उक्त अवधि तक भी सुधार ना होने की स्थिति में प्रमाण पत्र को रीनियु कराया जा सकता है।
निष्कर्ष
21 विभिन्न प्रकार की शारीरिक विकलांगता वाले व्यक्ति विकलांग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकते है, और सरकारी योजनाओं और नौकरियों का लाभ उठा सकते है। इस लेख में हमने आवेदन और दस्तावेज़ जमा करने के नियमों को जाना। साथ ही जाना विकलांग प्रमाण पत्र जारी करने के नियम क्या है, और इसकी वैधता क्या होती है। उम्मीद है इस आर्टिकल से आपको विकलांग प्रमाण पत्र के सभी नियम समझ आ गए होंगे, और प्रमाण पत्र बनवाने में मदद मिलेगी। अपने सवाल आप हमसे नीचे कमेंट कर पूछ सकते है।