ITR Form ‘सहज’ और ‘सुगम’: इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले जानें जरूरी बातें

आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना हर करदाता के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में व्यक्तियों और छोटे व्यवसायियों के लिए ITR-1 (‘सहज’) और ITR-4 (‘सुगम’) दो सबसे सामान्य फॉर्म हैं। यह लेख आपको इन दोनों फॉर्म के बारे में जरूरी जानकारी देगा, ताकि आप सही फॉर्म चुन सकें और रिटर्न दाखिल करने में आसानी हो।

ITR-1 (सहज): एक नजर में

ITR-1, जिसे ‘सहज’ के नाम से जाना जाता है, एक सरल और एक पेज का फॉर्म है। यह मुख्य रूप से वेतनभोगी व्यक्तियों, पेंशनभोगियों और सीमित आय वाले लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कौन भर सकता है?

  • निवासी व्यक्ति (Resident Individual, जो भारत में सामान्य रूप से निवासी हों)।
  • कुल आय 50 लाख रुपये तक हो।
  • आय के स्रोत:
    • वेतन या पेंशन
    • एक मकान की संपत्ति से आय (हाउस प्रॉपर्टी लॉस कैरी फॉरवर्ड नहीं होना चाहिए)।
    • अन्य स्रोत जैसे बैंक/एफडी/पोस्ट ऑफिस से ब्याज, पारिवारिक पेंशन आदि।
    • कृषि आय (10 लाख रुपये तक, यदि लागू हो)।
  • नया नियम (2025-26): इक्विटी म्यूचुअल फंड या लॉन्ग-टर्म इक्विटी निवेश से 1.25 लाख रुपये तक का लाभ होने पर भी ITR-1 का उपयोग किया जा सकता है।

कौन नहीं भर सकता?

  • जिनकी आय 50 लाख रुपये से अधिक हो।
  • जिनके पास एक से अधिक मकान की संपत्ति हो या हाउस प्रॉपर्टी लॉस हो।
  • व्यवसाय या पेशे (प्रोफेशन) से आय हो।
  • पूंजीगत लाभ (Capital Gains) या विदेशी संपत्ति से आय हो।
  • गैर-निवासी व्यक्ति (Non-Resident) या सामान्य रूप से निवासी नहीं (Not Ordinarily Resident)।

जरूरी दस्तावेज

  • फॉर्म 16: वेतनभोगियों के लिए।
  • फॉर्म 26AS: टीडीएस और वित्तीय लेन-देन का विवरण।
  • एन्युअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS): ब्याज, डिविडेंड जैसे लेन-देन की जानकारी।
  • बैंक खाता विवरण, निवेश प्रमाण (कटौती/छूट के लिए), ब्याज प्रमाण पत्र।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • सही जानकारी: फॉर्म में पहले से भरे डेटा (जैसे PAN, पता, बैंक विवरण) को सत्यापित करें। गलत जानकारी से रिटर्न ‘डिफेक्टिव’ माना जा सकता है।
  • ई-वेरिफिकेशन: रिटर्न दाखिल करने के बाद आधार OTP, नेट बैंकिंग या EVC के जरिए ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य है।
  • रिफंड प्रक्रिया: रिटर्न दाखिल करने के 2 सप्ताह के भीतर रिफंड शुरू हो सकता है। स्टेटस 10 दिन बाद चेक करें।
  • समय सीमा: सामान्यतः 31 जुलाई (2025-26 के लिए 31 जुलाई 2025, यदि ऑडिट नहीं है)।

ITR-4 (सुगम): एक नजर में

ITR-4, जिसे ‘सुगम’ कहा जाता है, उन व्यक्तियों, HUF और फर्मों के लिए है, जिनकी आय व्यवसाय या पेशे से है और वे प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम का लाभ लेते हैं।

कौन भर सकता है?

  • निवासी व्यक्ति, HUF, या फर्म (LLP को छोड़कर)।
  • कुल आय 50 लाख रुपये तक हो।
  • आय के स्रोत:
    • वेतन, पेंशन, एक मकान की संपत्ति, या अन्य स्रोत (जैसे ब्याज)।
    • व्यवसाय या पेशा से आय, जो आयकर अधिनियम की धारा 44AD, 44ADA, या 44AE के तहत प्रिजम्प्टिव आधार पर गणना की जाती है।
      • धारा 44AD: छोटे व्यवसाय (टर्नओवर 2 करोड़ रुपये तक)।
      • धारा 44ADA: पेशेवर (डॉक्टर, वकील आदि, रसीद 50 लाख रुपये तक)।
      • धारा 44AE: ट्रांसपोर्ट व्यवसाय (10 वाहनों तक)।
  • नया नियम (2025-26): इक्विटी म्यूचुअल फंड से 1.25 लाख रुपये तक का लाभ होने पर ITR-4 का उपयोग संभव है।

कौन नहीं भर सकता?

  • जिनकी आय 50 लाख रुपये से अधिक हो।
  • पूंजीगत लाभ (Capital Gains) या विदेशी संपत्ति से आय हो।
  • एक से अधिक मकान की संपत्ति हो।
  • गैर-निवासी व्यक्ति।
  • जिनका व्यवसाय या पेशा प्रिजम्प्टिव स्कीम के दायरे में न हो।

जरूरी दस्तावेज

  • फॉर्म 16: वेतनभोगियों के लिए।
  • फॉर्म 26AS और AIS: वित्तीय लेन-देन और टीडीएस विवरण।
  • व्यवसाय/पेशे से संबंधित रसीदें, बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रमाण।
  • प्रिजम्प्टिव टैक्स के लिए टर्नओवर/रसीद का अनुमानित विवरण।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन: व्यवसाय/पेशे की आय का अनुमानित हिस्सा (जैसे 44AD में 6-8% टर्नओवर) टैक्स के लिए माना जाता है, जिससे बही-खाता रखने की जरूरत कम होती है।
  • ई-वेरिफिकेशन: ITR-1 की तरह, ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य है।
  • गलत फॉर्म: यदि प्रिजम्प्टिव स्कीम लागू नहीं है, तो ITR-3 या अन्य फॉर्म भरें।
  • समय सीमा: सामान्यतः 31 जुलाई (2025-26 के लिए 31 जुलाई 2025, यदि ऑडिट नहीं है)।

सामान्य सुझाव

  1. सही फॉर्म चुनें: गलत फॉर्म भरने से रिटर्न ‘डिफेक्टिव’ हो सकता है, जिससे नोटिस मिल सकता है।
  2. दस्तावेजों का मिलान: फॉर्म 26AS, AIS, और TIS में दी गई जानकारी का रिटर्न से मिलान करें। असमानता होने पर सुधार करें।
  3. ऑनलाइन फाइलिंग: आयकर विभाग की वेबसाइट (incometax.gov.in) पर लॉगिन करें, फॉर्म चुनें, और चरण-दर-चरण जानकारी भरें।
  4. रिवाइज्ड रिटर्न: गलती होने पर निर्धारण वर्ष की समाप्ति (31 मार्च) से पहले रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करें।
  5. जीरो ITR: आय 2.5 लाख रुपये (पुराना स्लैब) या 3.5 लाख रुपये (नया स्लैब) से कम होने पर भी जीरो ITR फाइल करना फायदेमंद हो सकता है (जैसे लोन/वीजा के लिए)।
  6. फायदे: ITR फाइल करने से रिफंड क्लेम, लोन/वीजा आवेदन, और वित्तीय विश्वसनीयता में मदद मिलती है।

सावधानियां

  • गलत जानकारी: गलत या अधूरी जानकारी देने से नोटिस (सेक्शन 143(1)) मिल सकता है।
  • समय पर फाइलिंग: देरी से रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना और ब्याज देना पड़ सकता है।
  • सुरक्षा: आयकर विभाग कभी ईमेल के जरिए PAN, पासवर्ड, या बैंक विवरण नहीं मांगता। फर्जी ईमेल से सावधान रहें।

निष्कर्ष

ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) सरल और उपयोगी फॉर्म हैं, जो अलग-अलग आय वर्गों के लिए बनाए गए हैं। सही फॉर्म चुनने, दस्तावेजों का मिलान करने और समय पर रिटर्न दाखिल करने से आप न केवल आयकर नियमों का पालन करेंगे, बल्कि वित्तीय प्रक्रियाओं में भी आसानी होगी। यदि आपकी आय या स्थिति जटिल है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लेना उचित रहेगा।ध्यान दें: यह जानकारी मई 2025 तक के नियमों पर आधारित है। नवीनतम अपडेट के लिए आयकर विभाग की वेबसाइट (incometax.gov.in) देखें।

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